बुधवार, 24 जनवरी 2018

*भारतीय नदी(INDIAN RIVERS)*

*1 सिन्धु नदी* :-
•लम्बाई: (2,880km)
• उद्गम स्थल: मानसरोवर झील के निकट
• सहायक नदी:(तिब्बत) सतलुज, व्यास,
झेलम, चिनाब,
रावी, शिंगार,
गिलगित, श्योक जम्मू और कश्मीर, लेह
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*2 झेलम नदी*
•लम्बाई: 720km
•उद्गम स्थल: शेषनाग झील,
जम्मू-कश्मीर
•सहायक नदी: किशन, गंगा, पुँछ लिदार,करेवाल,
सिंध जम्मू-कश्मीर,
कश्मीर
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*3 चिनाब नदी*
•लम्बाई: 1,180km
•उद्गम स्थल: बारालाचा दर्रे के निकट
•सहायक नदी: चन्द्रभागा जम्मू-कश्मीर
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*4 रावी नदी*
•लम्बाई: 725 km
•उद्गम स्थल:रोहतांग दर्रा,
कांगड़ा
•सहायक नदी :साहो, सुइल पंजाब
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*5 सतलुज नदी*
•लम्बाई: 1440 (1050)km •उद्गमस्थल:मानसरोवर के निकट राकसताल
•सहायक नदी : व्यास, स्पिती,
बस्पा हिमाचल प्रदेश, पंजाब
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*6 व्यास नदी*
•लम्बाई: 470
•उद्गम स्थल: रोहतांग दर्रा •सहायक नदी:तीर्थन, पार्वती,
हुरला
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*7 गंगा नदी*
•लम्बाई :2,510 (2071)km •उद्गम स्थल: गंगोत्री के निकट गोमुख से
• सहायक नदी: यमुना, रामगंगा,
गोमती,
बागमती, गंडक,
कोसी,सोन,
अलकनंदा,
भागीरथी,
पिण्डार,
मंदाकिनी, उत्तरांचल,
उत्तर प्रदेश,
बिहार,
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*8 यमुना नदी*
•लम्बाई: 1375km
•उद्गम स्थल: यमुनोत्री ग्लेशियर
•सहायक नदी: चम्बल, बेतवा, केन,
टोंस, गिरी,
काली, सिंध,
आसन
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*9 रामगंगा नदी*
•लम्बाई: 690km
•उद्गम स्थल:नैनीताल के निकट एक हिमनदी से
• सहायक नदी:खोन
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*10 घाघरा नदी*
•लम्बाई: 1,080 km
•उद्गम स्थल:मप्सातुंग (नेपाल)
• सहायक नदी:हिमनद शारदा, करनली,
कुवाना, राप्ती,
चौकिया,
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*11 गंडक नदी*
•लम्बाई: 425km
•उद्गम स्थल: नेपाल तिब्बत सीमा पर मुस्ताग के निकट •सहायक नदी :काली गंडक,
त्रिशूल, गंगा
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*12 कोसी नदी*
•लम्बाई: 730km
•उद्गम स्थल: नेपाल में सप्तकोशिकी
(गोंसाईधाम)
•सहायक नदी: इन्द्रावती,
तामुर, अरुण,
कोसी
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*13 चम्बल नदी*
•लम्बाई: 960 km
•उद्गम स्थल:मऊ के निकट जानापाव पहाड़ी से
•सहायक नदी :काली सिंध,
सिप्ता,
पार्वती, बनास
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*14 बेतवा नदी*
•लम्बाई: 480km
•उद्गम स्थल: भोपाल के पास उबेदुल्ला गंज के पास मध्य प्रदेश
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*15 सोन नदी*
•लम्बाई: 770 km
•उद्गमस्थल:अमरकंटक की पहाड़ियों से
•सहायक नदी:रिहन्द, कुनहड़
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*16 दामोदर नदी*
•लम्बाई: 600km
•उद्गम स्थल: छोटा नागपुर पठार से दक्षिण पूर्व
•सहायक नदी:कोनार,
जामुनिया,
बराकर झारखण्ड,
पश्चिम बंगाल
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*17 ब्रह्मपुत्र नदी*
•लम्बाई: 2,880km
•उद्गम स्थल: मानसरोवर झील के निकट (तिब्बत में सांग्पो)
•सहायक नदी: घनसिरी,
कपिली,
सुवनसिती,
मानस, लोहित,
नोवा, पद्मा,
दिहांग अरुणाचल प्रदेश, असम
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*18 महानदी*
•लम्बाई: 890km
•उद्गम स्थल: सिहावा के निकट रायपुर
•सहायक नदी: सियोनाथ,
हसदेव, उंग, ईब,
ब्राह्मणी,
वैतरणी मध्य प्रदेश,
छत्तीसगढ़,
उड़ीसा
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*19 वैतरणी नदी*
• लम्बाई: 333km
•उद्गम स्थल:क्योंझर पठार उड़ीसा
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*20 स्वर्ण रेखा*
•लम्बाई: 480km
•उद्गम स्थल ;छोटा नागपुर पठार उड़ीसा,
झारखण्ड,
पश्चिम बंगाल
—————————————*21 गोदावरी नदी*
•लम्बाई: 1,450km
•उद्गम स्थल: नासिक की पहाड़ियों से
•सहायक नदी:प्राणहिता,
पेनगंगा, वर्धा,
वेनगंगा,
इन्द्रावती,
मंजीरा, पुरना महाराष्ट्र,
कर्नाटक,
आन्ध्र प्रदेश
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*22 कृष्णा नदी*
•लम्बाई: 1,290km
•उद्गम स्थल: महाबलेश्वर के निकट
•सहायक नदी: कोयना, यरला,
वर्णा, पंचगंगा,
दूधगंगा,
घाटप्रभा,
मालप्रभा,
भीमा, तुंगप्रभा,
मूसी महाराष्ट्र,
कर्नाटक,
आन्ध्र प्रदेश
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*23 कावेरी नदी*
•लम्बाई: 760km
•उद्गम स्थल: केरकारा के निकट ब्रह्मगिरी
•सहायक नदी:हेमावती,
लोकपावना,
शिमला, भवानी,
अमरावती,
स्वर्णवती कर्नाटक,
तमिलनाडु
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*24 नर्मदा नदी*
•लम्बाई: 1,312km
•उद्गम स्थल :अमरकंटक चोटी
•सहायक नदी: तवा, शेर, शक्कर,
दूधी, बर्ना मध्य प्रदेश,
गुजरात
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*25 ताप्ती नदी*
•लम्बाई: 724km
•उद्गम स्थल: मुल्ताई से (बेतूल)
•सहायक नदी: पूरणा, बेतूल,
गंजल, गोमई मध्य प्रदेश,
गुजरात
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*26 साबरमती*
•लम्बाई: 716km
•उद्गम स्थल: जयसमंद झील
(उदयपुर)
•सहायक नदी:वाकल, हाथमती राजस्थान,
गुजरात
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*27 लूनी नदी*
•उद्गम स्थल: नाग पहाड़ •सहायक नदी:सुकड़ी, जनाई,
बांडी राजस्थान,
गुजरात,
मिरूडी,
जोजरी
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*28 बनास नदी*
•उद्गम स्थल: खमनौर पहाड़ियों से
•सहायक नदी :सोड्रा, मौसी,
खारी कर्नाटक,
तमिलनाडु
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*29 माही नदी*
•उद्गम स्थल: मेहद झील से •सहायक नदी:सोम, जोखम,
अनास, सोरन मध्य प्रदेश,
गुजरात
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*30 हुगली नदी*
•उद्गम स्थल: नवद्वीप के निकट
•सहायक नदी: जलांगी
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बुधवार, 17 जनवरी 2018

नाथ संप्रदाय के बारे मे


                                              नाथ समप्रदय 
                                                                      

➤ नाथ संप्रदाय की स्थापना 10वीं  शताब्दी मे म्त्स्येन्द्रनाथ ने की थी । इस संप्रदाय मे शिव को आदिनाथ  मानते हुए 9 नाथों को दिव्य को पुरुष के रूप में मान्यता प्रदान की गई है । म्त्स्येन्द्रनाथ के ग्रंथो कौलज्ञान निर्णय और अकुलवीरतंत्र में इस सिद्धांत की विस्तृत चर्चा की गई है ।

➤ इस सिद्धान्त के अनुसार शिव का नाम अकु है तथा उसकी शक्ति का नाम कुल है । इन दोनों के संयोग से सृष्टि होती है । ऐसी स्थिति में इस साधना का समस्त कार्य स्त्री को साथ रखकर सम्पन्न किया जाता है । म्त्स्येन्द्रनाथ की यह साधना वज्रयानी बौद्धो की साधना के समतुल्य हैं इसलिए म्त्स्येन्द्रनाथ को अवलोकितेश्वर के अवतार के रूप में माना गया है और तिब्बत में इन्हें सिद्धालुईपाद के रूप में जाना जाता है । 

  बाबा गोरखनाथ : 11वीं शताब्दी में नाथपंथ संप्रदाय के प्रचार - प्रसार का कार्य बाबा गोरखनाथ ने किया । उन्होने साधना में स्त्रियों के प्रवेश का विरोध किया और कहा कि इनके संयोग व संसर्ग से साधना संभव नहीं है । इन्होने सच्चरित्रता व जीवन कि पवित्रता पर बल दिया । इनके अनुसार शिव की परमतत्व है । जब उसकी सृष्टि की इच्छा होती है तब यह शक्ति के रूप में परिवर्तित हो जाता है । इनके हठयोग व सहजयान योग का तत्कालीन समाज में तीव्रता से प्रचार हुआ ।   

बुधवार, 10 जनवरी 2018

सूखे ने जिन मवेशियों का सब कुछ छीन लिया


देश के जिन इलाकों में सूखे ने दस्तक दे दी है और खेत सूखने के बाद किसानों व खेत-मजदूरों के परिवार पलायन कर गए हैं, वहां छुट्टा मवेशियों की तादाद सबसे ज्यादा है। इनके लिए पीने के पानी की व्यवस्था का गणित अलग ही है। आए रोज गांव-गांव में कई-कई दिनों तक चारा न मिलने या पानी न मिलने या फिर इसके कारण भड़ककर हाईवे पर आने से होने वाली दुर्घटनाओं के चलते मवेशी मर रहे हैं। गरमी के दिन तो और भी बदतर होंगे, क्योंकि तापमान भी बढ़ेगा। बुंदेलखंड में लोगों ने अपने मवेशियों को खुला छोड़ दिया है, क्योंकि चारे व पानी की व्यवस्था वे नहीं कर सकते। इसे वहां पर ‘अन्ना प्रथा’ कहा जाता है। सैकड़ों मवेशियों ने अपना बसेरा सड़कों पर बना लिया। पिछले दिनों ऐसे कोई पांच हजार मवेशियों का रेला हमीरपुर से महोबा जिले की सीमा में घुसा, तो किसानों ने रास्ता जाम कर दिया। इन जानवरों को हमीरपुर जिले के राठ के बीएनबी कॉलेज परिसर में घेरा गया था और योजना के अनुसार पुलिस की अभिरक्षा में इन्हें रात में चुपके से महोबा जिले में खदेड़ना था। एक तरफ पुलिस, दूसरी तरफ सशस्त्र गांव वाले और बीच में हजारों मवेशी। कई घंटे तनाव के बाद जब जिला प्रशसन ने इन गायों को जंगल में भेजने की बात मानी, तब तनाव कम हुआ। उधर बांदा जिले के कई गांवों में अन्ना पशुओं को लेकर हो रहे तनाव से निपटने के लिए प्रशासन ने बेआसरा पशुओं को स्कूलों के परिसर में घेरना शुरू कर दिया है। इससे कई जगहों पर पढ़ाई चौपट हो गई है। प्रशासन के पास इतना बजट नहीं है कि उनके लिए हर दिन चारे-पानी की व्यवस्था की जाए। किसानों के लिए ये मवेशी परेशानी का सबब हैं, क्योंकि ये उनकी खेतों में लहलहा रही फसलों को चट कर जाते हैं।

पिछले दो दशकों से मध्य भारत का अधिकांश हिस्सा तीन साल में एक बार अल्प वर्षा का शिकार रहा है। यहां से रोजगार के लिए पलायन की परंपरा भी एक सदी से ज्यादा पुरानी है, लेकिन मवेशियों को मजबूरी में छुट्टा छोड़ देने का रोग अभी कुछ दशक से ही है। ‘अन्ना प्रथा’ यानी अनुपयोगी मवेशी को आवारा छोड़ देने के चलते यहां खेत व इंसान, दोनों पर संकट है। उरई, झांसी आदि जिलों में कई ऐसे किसान हैं, जिनके पास अपने जल ससांधन हैं, लेकिन वे अन्ना पशुओं के कारण बुवाई नहीं कर पाए। जब फसल कुछ हरी होती है, तो अचानक ही हजारों मवेशियों का रेवड़ आता है और फसल चट कर जाता है। इसी के साथ जुड़ी हुई राजनीति की समस्याएं भी बहुत सारी हैं।

अभी चार दशक पहले तक हर गांव में चरागाह की जमीन होती थी। शायद ही कोई ऐसा गांव या मजरा होगा, जहां कम से कम एक तालाब और कई कुएं न हों। जंगल का फैलाव पचास फीसदी तक था। आधुनिकता की आंधी में बहकर लोगों ने चरागाह को अपना ‘चरागाह’ बना लिया व हड़प गए। तालाबों की जमीन समतल करके या फिर घर की नाली और गंदगी उनमें गिराकर उनका अस्तित्व खत्म कर दिया गया। हैंडपंप या ट्यूबवेल की मृग-मरीचिका में कुओं को बिसरा दिया। जंगलों की ऐसी कटाई हुई कि अब बुंदेलखंड में अंतिम संस्कार के लिए भी लकड़ी नहीं बची है और वन विभाग के डिपो दूर से लकड़ी मंगवा रहे हैं। जो कुछ जंगल बचे भी हैं, वहां पर मवेशियों के चरने पर रोक है।

अभी बरसात बहुत दूर है। जब सूखे का संकट चरम पर होगा, तो लोगों को मुआवजा, राहत कार्य या ऐसे ही नामों पर राशि बांटी जाएगी, लेकिन देश और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पशु-धन को सहेजने के प्रति शायद ही किसी का ध्यान जाए। अभी तो औसत या अल्प बारिश के चलते जमीन पर थोड़ी हरियाली है और कहीं-कहीं पानी भी, लेकिन अगली बारिश होने में अभी कम से कम तीन महीने हैं और इतने लंबे समय तक आधे पेट व प्यासे रहकर मवेशियों का जी पाना संभव नहीं होगा। बुंदेलखंड में जीविकोपार्जन का एकमात्र जरिया खेती ही है और मवेशी पालन इसका सहायक व्यवसाय। यह जान लें कि एक करोड़ से ज्यादा संख्या का पशु धन तैयार करने में कई साल व कई अरब की रकम लगेगी, लेकिन उनके चारा-पानी की व्यवस्था के लिए कुछ करोड़ ही काफी होंगे।

मंगलवार, 9 जनवरी 2018

जापानी इन्सेफेलाइटिस वाइरस का यू पी और बिहार पर खतरनाक प्रकोप

नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत है अगर आपने मेरे इस Blog को Follow नहीं किया है तो जल्दी से Follow करे
जापानी इन्सेफेलाइटिस रोग वाइरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है | यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है | यह एक खास प्रकार के वायरस के द्वारा फैलाता है जापानी इन्सेफेलाइटिस मच्छरों और सूअर के द्वारा फैलाता है | इस बुखार को फैलाने में सूअर मुख्य भूमिका निभाता है | इस बुखार की चपेट मे 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष के ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते है | लेकिन इस जानलेवा बीमारी के शिकार अधिकतर बच्चे ही होते हैं | जापानी इन्सेफेलाइटिस के वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है | यह छूआछूत की बीमारी नहीं है | जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस को फैलाने में मच्छरों और सूअरो की मुख्य भूमिका होती है देश के 19 राज्यो के 171 जिलों मे जापानी इन्सेफेलाइटिस का प्रभाव है | पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार सहित दूसरे अन्य राज्यो के 60 जिले इन्सेफेलाइटिस से प्रभावित हैं | हर वर्ष यूपी
और बिहार में जापानी इन्सेफेलाइटिस से सैकड़ो बच्चों की अकाल मृत्यु हो जाती है | पिछले दिनों पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस दिमागी बुकर से सैकड़ो की संख्या में बच्चों की मृत्यु हो गयी |जापानी इन्सेफेलाइटिस का प्रकोप साल के तीन महीने अगस्त,सितंबर और अक्तूबर में सबसे ज्यादा होता है | जापानी इन्सेफेलाइटिस के लक्षण हैं सिरदर्द ,तेज बुखार,गर्दन मे अकड़न ,घबराहट ,ऐंठन और मस्तिष्क भी निष्क्रिय हो जाता है । इस बुखार की संचयी कालवधि समान्यतः 5 से 15 दिन होती है | और इसकी मृत्युदर 0.3 से 60 प्रतिशत तक है । जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस सूअर के शरीर में फलते-फूलते हैं और उनसे मच्छर इस वायरस को मानव शरीर में पहुंचाने का काम करते हैं । वायरस हमारे शरीर के संपर्क में आते ही सीधा हमारे दिमाग में प्रवेश कर लेता है और हमारे सोचने समझने,देखने और सुनने की शक्ति को प्रभावित करता है । इसकी कोई विशेष चिकित्सा नहीं है । यह रोग अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर होता है । ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगो लो दिमागी बुखार होने की अधिक संभावना रहती है । भारत में जापानी इन्सेफेलाइटिस टीका उपलब्ध है । इस बुखार से बचने के लिए कुछ सुझाव है । समय से टीकाकरण कराएं, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, मच्छरों को अपने आस-पास पनपने न दें, घरों के आस-पास पानी जमा न होने दें, बच्चों के खान पान पर विशेष ध्यान दें ।

बुधवार, 3 जनवरी 2018

अब आपकी कलम चार्जर तथा कैमरे का भी काम करेगी जाने कैसे

नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत है।
प्रागैतिहासिक काल से आज तक कलम ने काफी लम्बी विकास यात्रा तय की है जिसमें सरकंडे से निर्मित कलम से लेकर आधुनिक वॉल पेन तक शामिल हैं।अब कनाडा के कुछ शोधकर्ताओं ने एक ऐसी कलाम का निर्माण किया है ।  लेखन के साथ-साथ चार्जर तथा कैमरे का भी काम करेगी। इस बहुपयोगी कलम का नाम रखा गया है'चार्ज राइट' । इस अनोखी कलम का मूल्य है लगभग एक हजार रुपये । यह कलम आपके फोन को पाँच घंटे तक उपयोग के लायक चार्ज कर सकती है। इस कलम में156 जी बी मैमोरी कार्ड लगा हुआ है।इस कलम को फोन के अलावा लैपटॉप से भी जोड़ा जा सकता है। इस कलम की नोक पर कैमरा भी लगा है ।

दुबलापन से रहता है अवसाद का सबसे ज्यादा खतरा

नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत है
प्रायः पाया जाता है की मोटोपा और कुपोषण अवसाद के कारण पनपते हैं, परन्तु हाल के वैज्ञानिक शोधों से ये पता चला है की बहुत दुबली – पतली महिलायें भी पुरुषों की तुलना मेन अवसाद के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं | पाया गया है कि मानसिक तनाव पर दुबलेपन का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है | दक्षिण कोरिया के सिओल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पतली महिलाओं और पुरुषों कि नकारात्मक सोच पर अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि मोटे लोगों में अवसाद के विपरीत पतली महिलाओं में इसकी संभावना अधिक रहती है | ब्रिटेन के जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि अवसादग्रस्त होने पर वजन घट सकता है या यह हो सकता है कि पतला होने से अवसाद का खतरा बढ़ता हो | शोधकर्ताओं के मतानुसार समकक्ष पुरुष से बार–बार पतली महिलाओं की तुलना होने की वजह से उन्हें मनोवैज्ञानिक संकट का सामना करना पड़ता है जो बाद में अवसाद का कारण बन सकता है | शोधकर्ताओं ने 183 महिलाओं पर अध्ययन के बाद निष्कर्ष निकाला की कम वजन वलले तथा मोटापाग्रस्त दोनों प्रकार के लोगों में अवसाद का जोखिम अधिक रहता है |

दुनिया में एक देश ऐसा है कि जिसका राष्ट्रीय ध्वज न चौकोर है और न ही आयताकार। इसके राष्ट्रीय ध्वज की क्या विशेषतायें हैं

नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत है। अगर आपने मेरे blog को follow नही किया है तो जल्दी से करे और जाने रोचक खबरों के बारे में। यह देश नेपाल है।इसक...