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जापानी इन्सेफेलाइटिस रोग वाइरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है | यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है | यह एक खास प्रकार के वायरस के द्वारा फैलाता है जापानी इन्सेफेलाइटिस मच्छरों और सूअर के द्वारा फैलाता है | इस बुखार को फैलाने में सूअर मुख्य भूमिका निभाता है | इस बुखार की चपेट मे 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष के ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते है | लेकिन इस जानलेवा बीमारी के शिकार अधिकतर बच्चे ही होते हैं | जापानी इन्सेफेलाइटिस के वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है | यह छूआछूत की बीमारी नहीं है | जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस को फैलाने में मच्छरों और सूअरो की मुख्य भूमिका होती है देश के 19 राज्यो के 171 जिलों मे जापानी इन्सेफेलाइटिस का प्रभाव है | पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार सहित दूसरे अन्य राज्यो के 60 जिले इन्सेफेलाइटिस से प्रभावित हैं | हर वर्ष यूपी
और बिहार में जापानी इन्सेफेलाइटिस से सैकड़ो बच्चों की अकाल मृत्यु हो जाती है | पिछले दिनों पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस दिमागी बुकर से सैकड़ो की संख्या में बच्चों की मृत्यु हो गयी |जापानी इन्सेफेलाइटिस का प्रकोप साल के तीन महीने अगस्त,सितंबर और अक्तूबर में सबसे ज्यादा होता है | जापानी इन्सेफेलाइटिस के लक्षण हैं सिरदर्द ,तेज बुखार,गर्दन मे अकड़न ,घबराहट ,ऐंठन और मस्तिष्क भी निष्क्रिय हो जाता है । इस बुखार की संचयी कालवधि समान्यतः 5 से 15 दिन होती है | और इसकी मृत्युदर 0.3 से 60 प्रतिशत तक है । जापानी इन्सेफेलाइटिस वायरस सूअर के शरीर में फलते-फूलते हैं और उनसे मच्छर इस वायरस को मानव शरीर में पहुंचाने का काम करते हैं । वायरस हमारे शरीर के संपर्क में आते ही सीधा हमारे दिमाग में प्रवेश कर लेता है और हमारे सोचने समझने,देखने और सुनने की शक्ति को प्रभावित करता है । इसकी कोई विशेष चिकित्सा नहीं है । यह रोग अलग-अलग देशों में अलग-अलग समय पर होता है । ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगो लो दिमागी बुखार होने की अधिक संभावना रहती है । भारत में जापानी इन्सेफेलाइटिस टीका उपलब्ध है । इस बुखार से बचने के लिए कुछ सुझाव है । समय से टीकाकरण कराएं, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, मच्छरों को अपने आस-पास पनपने न दें, घरों के आस-पास पानी जमा न होने दें, बच्चों के खान पान पर विशेष ध्यान दें ।
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